आज हम यहां पर विस्तार से जानेंगे की Bishnoi Samaj Kya Hai? और इस विषय पर बहुत ही गहराई से चर्चा करेंगे।
आप सभी लोग जानते होंगे कि Bishnoi Samaj Kya Hai? लेकिन अभी भी बहुत सारे लोगों को हमारे समाज के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं है उन्होंने बस Bishnoi Samaj का नाम सुना है।
और जैसा कि हमने Internet के द्वारा हमारे समाज के लोगों में जागरूकता लाने का फैसला किया है उसी प्रकार हमें दूसरे लोगों को यह बताना भी आवश्यक है कि Bishnoi Samaj क्या है? इसकी स्थापना कैसे हुई इत्यादि।
आज हम यहां पर इन सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करेंगे जो मैंने आपको यहां पर दिए हैं –
- Bishnoi Samaj Kya Hai?
- Bishnoi Samaj ki स्थापना कब हुई?
- Bishnoi Samaj की स्थापना किसने की?
- बिश्नोई समाज के 29 नियम कौन कौन से हैं?
- बिश्नोई जनजाति कहाँ निवास करते हैं?
- खेजड़ली बलिदान क्या है?
- पर्यावरण संरक्षण में बिश्नोई समाज की भूमिका किस प्रकार है?
हम यहां इन ऊपर दिए गए प्रश्नों के बारे में विस्तार से बात करेंगे यह प्रश्न इंटरनेट पर बहुत ही ज्यादा खोजे जाते हैं और इनका कोई सटीक उत्तर अभी तक इंटरनेट पर नहीं है।
हमारी इस वेबसाइट बिश्नोई समाज डॉट कॉम का फेसबुक ग्रुप और इंस्टाग्राम पेज का लिंक यहां दिया गया है आप उसे जल्दी से जल्दी ज्वाइन कर लीजिए ताकि हम वहां भी बातचीत कर सकें और अपने समाज में जागरूकता का प्रचार कर सकें।
बिश्नोई समाज के बारे में जब हम इंटरनेट पर खोजने का प्रयास करते हैं तो हमें ज्यादा जानकारी नहीं मिलती है और जो जानकारी सामान्य रूप से मिलती है वह भी एकदम सटीक नहीं होती।
Guru Jambhoji (गुरू जम्भेश्वर)
बिश्नोई समाज के गुरु श्री जंभेश्वर भगवान हुए थे जिनका जन्म विक्रम संवत 1508 और सन 1451 को भादवा वदि अष्टमी जन्माष्टमी को अर्धरात्रि कृतिका नक्षत्र में सोमवार को पीपासर नामक गांव मे हुआ था। इनके पिता जी का नाम लोहट जी पंवार था तथा माता का नाम हंसा देवी (केसर देवी) तथा हंसा देवी छपरा निवासी मोहकमसिंह भाटी की बेटी थी।
इतिहास प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य की 40 वीं में पीढ़ी में रोलोजी पंवार हुए थे उस समय मरू प्रदेश अनेक छोटे राज्यों में बटा हुआ था इन राज्यों एवं ठिकानों पर अलग-अलग लोगों का अधिकार था रोलोजी पंवार वंश राजपूत थे और उनका पीपासर पर अधिकार था रोलोजी की पत्नी का नाम राजाधि देवी था इनके दो पुत्र और एक पुत्री थी जिनमें बड़े पुत्र का नाम लोहट जी और छोटे पुत्र का नाम पुल्होजी था तथा उनकी पुत्री का नाम तांतु था।
गुरू जम्भेश्वर का बाल्यकाल
गुरु जांभोजी अपनी बाल्यावस्था में बहुत ही अलग है वह साधारण बालकों की तरह नहीं थे।
बाल्यकाल की अनेक अलौकिक घटनाओं का वर्णन पंत के कवियों ने अपनी रचनाओं में किया है जन्म के समय बालक पूर्ण स्वस्थ था और कोई भी स्त्री प्रयत्न करने पर भी बालक को जन्म घुट्टी नहीं पिला सकी उन्होंने अपनी मां का दूध भी नहीं पिया।
वह चौकी पर पीठ के बल नहीं सोते थे, उनकी पलके नहीं झपकती थी, और वह कुछ खाते पीते नहीं थे।
एक बार उन्होंने अपने शरीर को इतना भारी बना लिया कि उन्हें लोहट जी हनसा तथा तांतू कोई भी उठा नहीं सका पर दासी ने उन्हें उठा लिया।
बाल्यकाल की इन अद्भुत घटनाओं से यही पता लगता है कि गुरु जांभोजी का व्यवहार साधारण बालक के समान नहीं था वे साधारण बालक की तरह हंसते खेलते नहीं थे बालक का अद्भुत व्यवहार लोगों के समझ में नहीं आता था।
Bishnoi Samaj
हम बिश्नोई समाज के बारे में जानने का प्रयास करें तो बिश्नोई समाज मुख्य रूप से उत्तरी भारत में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश में ही है।
बिश्नोई समाज के लोग प्रकृति प्रेमी और जीव प्रेमी होते हैं बिश्नोई शब्द 20 और 9 से मिलकर बना है जिसका अर्थ है कि 29 नियमों का पालन करने वाला।
गुरु जांभोजी ने जब बिश्नोई समाज की स्थापना की थी तो उन्होंने 29 नियम बनाए थे और कहा था कि जो भी व्यक्ति इन 29 नियमों का पालन करेगा वही विश्नोई कहलाएगा।
Bishnoi 29 Niyam
29 नियमों को आप यहां विस्तार से पढ़ सकते हैं। – Bishnoi 29 Niyam
- प्रतिदिन प्रात:काल स्नान करना।
- 30 दिन जनन – सूतक मानना।
- दिन रजस्वता स्री को गृह कार्यों से मुक्त रखना।
- शील का पालन करना।
- संतोष का धारण करना।
- बाहरी एवं आन्तरिक शुद्धता एवं पवित्रता को बनाये रखना।
- तीन समय संध्या उपासना करना।
- संध्या के समय आरती करना एवं ईश्वर के गुणों के बारे में चिंतन करना।
- निष्ठा एवं प्रेमपूर्वक हवन करना।
- पानी, ईंधन व दूध को छान-बीन कर प्रयोग में लेना।
- वाणी का संयम करना।
- दया एवं क्षमा को धारण करना।
- चोरी नही करनी।
- निंदा नही करनी।
- झूठ नही बोलना।
- वाद – विवाद का त्याग करना।
- अमावश्या के दिन व्रत करना।
- विष्णु का भजन करना।
- जीवों के प्रति दया का भाव रखना।
- हरा वृक्ष नहीं कटवाना।
- काम, क्रोध, मोह एवं लोभ का नाश करना।
- रसोई अपने हाध से बनाना।
- परोपकारी पशुओं की रक्षा करना।
- अमल का सेवन नही करना।
- तम्बाकू का सेवन नही करना।
- भांग का सेवन नही करना।
- शराब का सेवन नही करना।
- बैल को बधिया नहीं करवाना।
- नील का त्याग करना।
गुरु जांभोजी के अनुसार सभी बिश्नोई समाज के लोगों को इन 29 नियमों को मानना चाहिए और यह 29 नियम किसी भी व्यक्ति के जीवन को सफल बना सकते हैं।
Bishnoi Samaj Gotra
बिश्नोई समाज में बहुत सारे Gotra हैं यह सभी को उत्तर मुख्य रूप से जाटों में से आए हैं तथा कुछ गोत्र बनियों तथा अन्य जातियों में से भी आए हैं।
जिस समय गुरु जांभोजी ने Bishnoi Samaj (बिश्नोई समाज) की स्थापना की थी, तब बहुत सारी जातियों के लोगों ने बिश्नोई समाज को स्वीकार किया था उनमें मुख्य रूप से जाट, राजपूत तथा बनिये थे।
हमने यहां पर बिश्नोई समाज के सभी गोत्रों को विस्तार से बताया है।
Me shrawan vishnoi rajasthan ke jodhpur ka rahne wala hu aur muje proud hh ki me Bishnoi hu
Yeh ek nidar aur santishshil samaj hh