Bishnoi समाज में 29 नियमो को माना जाता है, श्री गुरु जम्बेश्वर भगवान के अनुसार बिश्नोई समाज के लोगो को इन 29 नियमो को मानना आवश्यक है।
गुरु जांभोजी महाराज ने समराथल धोरे पर 29 नियमों की दीक्षा देकर बिश्नोई पंथ की स्थापना की थी तथा सभी बिश्नोई पंथ के अनुयायियों को इन 29 नियमों को मानने को कहां था।
Bishnoi 29 Rules श्री गुरु जम्बेश्वर भगवान द्वारा बनाये गए थे।
“उणतीस धर्म की आंकड़ी, हृदय धरियो जोय। जाम्भोजी जी कृपा करी नाम विश्नोई होय ।”
श्री गुरु जम्बेश्वर भगवान् ने कहा था कि जो भी व्यक्ति इन 29 नियमो का पालन करेगा और इन नियमो के अनुसार चलेगा वह व्यक्ति एक सचा Bishnoi होगा।
Bishnoi 29 Rules
श्री गुरु जम्बेश्वर भगवान् द्वारा बताये गए 29 नियम इस प्रकार है –
- प्रतिदिन प्रात:काल स्नान करना।
- 30 दिन जनन – सूतक मानना।
- दिन रजस्वता स्री को गृह कार्यों से मुक्त रखना।
- शील का पालन करना।
- संतोष का धारण करना।
- बाहरी एवं आन्तरिक शुद्धता एवं पवित्रता को बनाये रखना।
- तीन समय संध्या उपासना करना।
- संध्या के समय आरती करना एवं ईश्वर के गुणों के बारे में चिंतन करना।
- निष्ठा एवं प्रेमपूर्वक हवन करना।
- पानी, ईंधन व दूध को छान-बीन कर प्रयोग में लेना।
- वाणी का संयम करना।
- दया एवं क्षमा को धारण करना।
- चोरी नही करनी।
- निंदा नही करनी।
- झूठ नही बोलना।
- वाद – विवाद का त्याग करना।
- अमावश्या के दिन व्रत करना।
- विष्णु का भजन करना।
- जीवों के प्रति दया का भाव रखना।
- हरा वृक्ष नहीं कटवाना।
- काम, क्रोध, मोह एवं लोभ का नाश करना।
- रसोई अपने हाध से बनाना।
- परोपकारी पशुओं की रक्षा करना।
- अमल का सेवन नही करना।
- तम्बाकू का सेवन नही करना।
- भांग का सेवन नही करना।
- शराब का सेवन नही करना।
- बैल को बधिया नहीं करवाना।
- नील का त्याग करना।
बिश्नोई 29 नियम काव्य खंड
ऊदोजी नैण बिश्नोई पंथ के बहुत प्रसिद्ध कवि हुए हैं। उन्होंने इन नियमों को पद्य में प्रस्तुत किया है। ऊदोजी नैण द्वारा पद्य में प्रस्तुत उनतीस नियम इस प्रकार हैं-
तीस दिन सूतक, पांच ऋतुवन्ती न्यारो ।
सेरा करो स्नान, शील, सन्तोष शुची प्यारो ।।
द्विकाल संध्या करो, सांझ आरती गुण गावो ।
होम हित चित प्रीत सूं होय, वास बैकुंठे पावो ।।
पाणी, बांणी, ईन्धणी दूध इतना लीजै छाण ।
क्षमा दया हिरदै धरो, गुरु बतायो जाण ।।
चोरी, निन्दा, झूठ बरजियों, वाद न करणो कोय ।
अमावस्या व्रत राखणो, भजन विष्णु बतायो जोय ।।
जीव दया पालणी, रूंख लीला नहिं घावै ।
अजर जरैं, जीवत मरै, वे वास बैकुण्ठा पावै ।।
करें रसोई हाथ सूं, आन सूं पला न लावै ।
अमर रखावै थाट, बैल बधिया न करावें ।।
अमल, तमाखू, भांग, मद-मांस सूं दूर ही भागे ।
लील न लावै अंग, देखत दूर ही त्याग ।।
‘उणतीस धर्म की आखड़ी, हिरदै धरियो जोय ।
गुरु जाम्भोजी किरपा करी, नाम बिश्नोई होय ।”
बिश्नोई समाज के 29 नियमों को पद्य रूप में प्रदर्शित करती हुई है पंक्तियां समाज के 29 नियमों का अर्थ विशेष रुप से प्रदर्शित करती हैं।
लेखक परिचय
मेरा नाम मांगीलाल है। मैं राजस्थान के श्री गंगानगर जिले का रहने वाला हूँ। मुझे अपने समाज के बारे में जानकारी प्राप्त करना, और उस जानकारी को सभी तक पहुँचाना अच्छा लगता है।
Thanks
निवण प्रणाम जी 🙏🙏🙏
Thank you for providing such a informative details
नुण प्रणाम 🙏
thanks
Hanji
Bishnoi
Good rules
निवन प्रणाम जी 🙏🚩
निवण प्रणाम जी
Mai ek yadav hu or mujhe ye rules aacha lga.
Nice
Proud on bishnoi’s rules
धन्यवाद देवी जी ✌️🙌
मैं सिख समाज से हुं। हमारी तीसरी पीढ़ी है जिस का बिश्नोई समाज से व्यवहार है।मेरे को बिश्नोई समाज बहुत अच्छा लगता है।इस लिए मैं गुरु जम्भेश्वर भगवान जी की किताबें या कहीं से ज्ञान अर्जित हो करता रहता हूं।
जसमेल सिह गिल प्रताप पुरा
जिला अनूपगढ़।
श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान की लाख लाख दया से हमे मानव जन्म मिला और इससे भी अधिक कृपा से विश्नोई के घर में मिला और में गुरु महाराज जम्भेश्वर से यही विनती करता हूं कि अगर मुझे मेरे अच्छे कर्मों का फल प्राप्त हुवे तो मुझे अगले जन्म में भी इसी राजस्थान की मरुभूमि में मानव के नाते विश्नोई समाज में जन्म मिले।
जिससे में मेरे सारे सपने और गुरु महाराज जम्भेश्वर की भक्ति का आनंद ले सकू।
गुरु वाणी और विश्नोई नियमों की ताकत को हम तभी समझ सकते है जब हम तन मन से गुरु जम्भेश्वर की भक्ति में लीन हो जाए।
सर्वे भवन्तु सुखिन _सर्वे संतु निरामया
सर्वे भद्राणि पस्यंतु _मां कासचिद दुःख भाग भवेत्।।
बिश्नोई समाज पर्यावरण संरक्षण के लिए जाना जाता हैं ✌
“सिर सांटे रूख रहे
तो भी सस्तो जाण”
बिश्नोई जी 👑👑